ग़ज़ल
इज्जत से हमको घर में बुलाने का शुक्रिया,वादा किया जो उसको निभाने का शुक्रिया। पुरख़ार रास्तों ने बड़े ज़ख़्म दिए हैंराहों में मेरी फूल बिछाने का शुक्रिया। रहकर के दूर … Read More
जाग कर रात भरतारों को निहार लिएचोट के दर्द कोसहला भी लिएन जाने कितने हीलम्हों में युगों जी लिएयादों की झील मेंपन्ने दर पन्ने पलट लिएचंद पल में ही जीवन … Read More
(अंतिम भाग 32) अगस्त्य अनुज को लेकर अंदर आ गया, अनुज मना ही नहीं कर पाया, इतने अपनेपन से बोलते हैं यह लोग कि वह चाह कर भी मना नहीं … Read More
(भाग 31) सभी लोग झील के किनारे-किनारे टहलते हुए उस पुरानी इमारत के पास पहुँच गए, यहाँ के किसी राजा ने इस झील के किनारे अपनी शाम का समय बिताने … Read More
(भाग 30) खूब सारी चर्चा होती रही, अगस्त्य अपने कॉलेज केम्पस की ऑफिस की ढेर सारी बातें बताता रहा, शगुन ने भी कॉलेज के दिलचस्प किस्से सुनाये, बहुत ही सामान्य … Read More
(भाग 29) जिया ने मां को बता दिया है कि इस रविवार अनुज घर आ रहा है, मां की उत्सुकता साफ झलक रही है, क्या बनाना है, कैसे बनाना है, … Read More
(भाग 28) “सर, मैं आपको इस काम के पूर्ण होने पर बधाई देने आई हूँ सचमुच आपके प्रोत्साहन ने यह काम कर दिखाया है और एक टीम होकर काम करने … Read More
(भाग 27) ऑफिस और घर के बीच या पूरी तरह से अपने आप मैं रम गई है वह चाहती है कि पिछली सारी बातें भूल जाए और सिर्फ अपना ध्यान … Read More
(भाग 26) “आप सभी जानते हैं कि हम एक निश्चित समय दिया गया है लेकिन उसमें समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं ऐसे ही इस बार भी मुख्य ऑफिस से … Read More