अभिव्यक्ति का प्रतिबिंब “फ़रिश्ता”

दिन बुधवार 10 जून 2015 को चरवाडा स्टेशन, लखनऊ से काठगोदाम एक्सप्रेस पर सवार हुआ। जाना था दिनांक 12 13 एवं 14 जून 2015 को को कोसानी में आयोजित बाल … Read More

ग़ज़ल

आज उनसे यक-ब-यक मिलना हुआ,ख्वाब बरसों का जो था सच्चा हुआ। जो नसीबो की तरफ अक्सर तकें,रास्ता उनको मिले काटा हुआ। आज बदबूदार उस बस्ती में भी,एक ओहदेदार का आज … Read More

परिवर्तन भी न जाने

युग के बदलते दौर मेंपीढ़ी दर पीढ़ी बदलीदेखी नये युग की रीतपुराना पीछे छूट ही गयासब कुछ नया रच जो दियालेकिन सावन वैसा ही हैजैसा मां, दादी,परदादी का थावही हवा … Read More

हायकु

शब्दों में बैठहोठों से जा लगूंसुर बन जाऊं। तुम नांगफनीवह कोमलांगनीकैसा बंधन। रोना त्यागसमेट ले सपनेटूटते तारे। हां ठुकरायामनोबल गिरायाहाथ छुड़ाया। भलाई गुमत्रियाचरित्र फलांप्रपंच फूला। ©A

चाहत के गांव

मन में वृन्दावन बस जातेजब यौवन द्वार खटखटातेतन मन बेहद शौर मचातेगाते रोते मन धमकातेविरह अग्नि में ही जल जातेमन में चाहत के गांव आ बसतेफिर क्यों इतना साजन सतातेमन … Read More

ग़ज़ल

हमको उलफत के जो इल्ज़ाम दिए जाते हैं,हम ये समझे हैं कि गुलफाम किए जाते हैं। साथ अपना ही रहा चोली-ओ-दामन जैसा,फिर भी अपने ही तो हैं चोट दिये जाते … Read More

मैं पीछे रह गया

कुछ पाने खोनेके खेल मेंतमाम उम्र लगा दीजोड़ घटा करबचा रखे जोकुछ पलसाजिश से रचीचतुर चालफिर धोखे नेकुछ बेईमानीनिगल लीसब कुछ ठीक किचाह लिए रहेसब भूलचूक गए गिनतीसांसों कीकितनी है … Read More

ग़ज़ल

इस तरह अपनी बात को निभाना चाहिए,कह कर नहीं करके भी कुछ दिखाना चाहिए। दृढ़ता की नाव पर सवार जब कभी हुए,परचम फतह का अर्श पे लहराना चाहिए। फहराए जब … Read More

राज खुलवाये

बसंती रंग मुझे है भायेजब भी आये सदा हंसाएफागुन की फुहार में साजनयाद बहुत बहुत तुम आये। बन जाये गर बात बतायेविश्वास पर भी राज छुपायेकरते हरदम ही मजबूरकैसे तुझसे … Read More