कब
पूछा तो गया थापर बता न सकीमन के छोटे-से आँगन मेंबहुत गहरा है सागरजब हिलौरें लेता हैं न,नींव ही हिला देता है मेरे अस्तित्व की। अन्दर सब उजड़ जाता हैकहाँ … Read More
अंतिम भाग (162) विनय इतना कुछ कहने के बाद खामोश हो गया था कुछ राहत महसूस कर रहा है और हर्षा भी अपने ख्यालों में खोई हुई है। लेकिन दोनों … Read More
भाग (161) “आप क्या सोचने लगे सर ? इतनी गंभीरता, मेरी बात का बुरा लगा सॉरी सर, मैंने आपको इस अंदाज में कभी बात करते नहीं सुना इसलिए यह रिएक्शन … Read More
भाग (160) विनय हर्षा के चेहरे पर ढेर सारी खुशियों भरी मुस्कुराहट और हँसी कि आवाज को अपने अंदर समाहित करता रहा, उसने भी तो हर्षा को कभी इस तरह … Read More
भाग (159) हर्षा को कुछ सुझा नहीं और वह दूसरी तरफ का गेट खोल कर आगे की सीट पर बैठ गई। यह कुछ ऐसे इसारे होते हैं जो सिर्फ दिल … Read More
भाग (158) हर्षा तो कही खो गई, उसे लगने लगा कि यह प्रसंग अब खत्म हो, उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा है और वह नीचे डूबती जाना चाहती है … Read More
भाग (157) “ज्यादा सोच समझ के चक्कर में अक्सर युवा चुंकि अनुभवहीन होता है और उसे यह जानकारी ही नहीं होती कि परिवार को कब और कैसे शुरू करना है … Read More
भाग (156) “नहीं आज पलेस में ज्यादा काम नहीं था और मुझे कुछ आराम भी करना था इसलिए मैं घर पर आ गई थी बिजी भी आज जल्दी आ जायेंगी, … Read More
भाग (155) विनय अपनी ही उधेड़बुन में व्यस्त हैं हर्षा को इस रूप को देखकर वह आश्चर्य में है हर्षा बहुत खूबसूरत है, मन की सुंदरता पहले ही पहचान गया … Read More