पत्थर नहीं दिल है
भाग 5 इस तरह की बातों से होता यह है कि धीरे-धीरे दोनों बहुत सी चर्चाओं में हिस्सा लेने लगे और आफिस से हटकर देश, घर, परिवार और आज के … Read More
भाग 5 इस तरह की बातों से होता यह है कि धीरे-धीरे दोनों बहुत सी चर्चाओं में हिस्सा लेने लगे और आफिस से हटकर देश, घर, परिवार और आज के … Read More
भाग 4 इस एक महीने में जितना त्रिवेणी ने अपने विषय में सोचा है उतना तो उसने अपने होश सम्हालने के बाद आज तक नहीं सोचा और नतीजा यह निकला … Read More
भाग 3 इतने दिनों में ही त्रिवेणी को धवल से लगाव तो दूर अपनापन भी नहीं हुआ, ऊपर से इस तरह का रुखा बोल देना उसे धवल से अलगाव ही … Read More
(भाग 2) अक्सर उसे लगता है कि कहा इस पचड़े में फंस गई हैं, घर वालों के दबाव न होता तो कभी इस बात के लिए सहमत नहीं होती। भरा … Read More
भाग 1 किसके लिए जी रही है, कौन है तेरा, जिसको अपना माना, छोड़ गया, जिसे दिल ने चाहने का भरपूर प्रयास कर रही है वह आत्मा को धिक्कारने से … Read More
सुदूर ग्रामीण तलहटी क्षेत्र मेंविराजी विघ्नहर्ता शान सेराह बनाती, रक्षा करतीकच्चे पक्के पहाड़ सेनागिन सी बल खाती राहेमोड़ पर डराते चलती शान सेसूरज तपता कोशिश करतादूर ही रहता धरा के … Read More
फागुन ने जबली अंगड़ाईघर आंगनमहके चहकेगलियाँ चौपालताल तलैयाझांझ मंजीराहुरियारे गाते बतियानेपंगडंडी राह निहारेआये मस्तानोंकी टोलीझूम झूमकरलहरातीबरगद कीटेहनी निगोड़ीकरलव करतेमौन हुए हैंउसमें रहतेसब पक्षीलाल रंग केरहस्य से चुप होदुबकी सहमी जोड़ीअलवेली … Read More