बड़ी बात थी वह बताई हुई,
हकीकत है फिर भी छुपाई हुई।
बहुत याद आती है हरदम तेरी,
अरे कल ही तो है सगाई हुई।
दरख़्तों को बरखा ने दी पुख्तगी,
खिले फूल धरती चटाई हुई।
पतंगों ने दामन गगन का भरा,
खिली धूप रंगों की लाई हुई।
ज़रा गौर करके तुम्हीं देख लो,
ये किस्मत तो खुद है बनाई हुई।
©A
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यह तो गजब ही हो गया। वाह, क्या एकदम सधी हुई ग़ज़ल है, बधाई बधाई बधाई
जी धन्यवाद