आसमान बुनती औरतें
भाग (19) रमन ने अपने ही परिवार में बेगानों की तरह जीवन गुजारा है हर एक के मुखोटे पर झूठ की चादर चढ़ी है मुँह के सामने चासनी से शब्दों … Read More
भाग (19) रमन ने अपने ही परिवार में बेगानों की तरह जीवन गुजारा है हर एक के मुखोटे पर झूठ की चादर चढ़ी है मुँह के सामने चासनी से शब्दों … Read More
भाग (18) हरदीप को अब पीठ में दर्द रहने लगा है, यह दर्द अब हर दो-चार दिनों में उठता है और एक दो दिनों के लिए हरदीप की हालत खराब … Read More
भाग (17) ‘‘राखी से पूछो किसके साथ आजकल रंगिन सपने देख रही है,’’… स्नेहा बोली ‘‘क्यों राखी क्या मामला है,’’…हर्षा ने पूछा ‘‘एक तरफा है मुझ तक ही सीमित है … Read More
भाग (16) हर्षा की जिन्दगी में उत्साह के मेले लगने लगे, अब उसे इस कम्पनी को छोड़ने का ख्याल नहीं आता। दिन हफ्तों महिनों और साल में गुजरने लगे। इन्टरनेशनल … Read More
भाग (15) आज उसे सरला के घर रुकना है, दोनों घर पहुँच भी गई लेकिन सरला के घर अचानक मेहमान आ गये, अब समस्या यह की छोटे से घर में … Read More
भाग (15) रात घर पहूँची तो मम्मीजी जाग रही थी, नानी सो गई है। ‘‘पुत्तर थक गई है पानी गरम है जा नहा ले अच्छा लगेगा।”…थकी देखकर कुलवीर ने कहा। … Read More
भाग 14 हर्षा दिन पर दिन अपने मैनेजर ओबेराय की ओर खीचती चली जा रही है, उसको झटका उस दिन लगा, जब पता चला की विनय ओबेराय को दूसरे ऑफिस … Read More
भाग 13 कुलवीर ने बातों-बातों में कई बार हर्षा को कहा है कि कोई पसन्द आ जाये तो बता देना। हर्षा जानती है, कोलकत्ता जैसे शहर में एक भी पुरूष … Read More
भाग 12 कुलवीर ने बातों-बातों में कई बार हर्षा को कहा है कि कोई पसन्द आ जाये तो बता देना। हर्षा जानती है कोलकत्ता जैसे शहर में एक भी पुरूष … Read More
भाग 11 हर्षा ने कुलवीर को आकर नहीं बताया कि वह घर पर रूकी थी इतने वर्षों में लकी से भी फोन पर बात नहीं हुई थी और न ही … Read More