ग़ज़ल
बहर 1222,1222,122 स्वरों से हम ये बंदिश कर रहे हैं,हुनर अपने ही पॉलिश कर रहे हैं। ये बेआवाज सी चोटों से बचकर,लगायें दिल ये कोशिश कर रहे हैं। रहे मन … Read More
पूछते हो ये प्यास सी क्या है,लालसा ज़िन्दगी में की क्या है। इश्क करना है तो जनाब करें,शै ये इतनी भी अब बुरी क्या है। पड़ गए पाँव में छाले … Read More
आदमी तो नेक था, सबने कहा अच्छा न था,हाँ बहुत खुद्दार था, हरगिज़ बशर झूठा न था। सब्र करते जान जाते आप कुछ मेरी तलब,कुछ मुलाकातों से मेरा भाग्य तो … Read More