पूछते हो ये प्यास सी क्या है,
लालसा ज़िन्दगी में की क्या है।
इश्क करना है तो जनाब करें,
शै ये इतनी भी अब बुरी क्या है।
पड़ गए पाँव में छाले कितने,
ज़िन्दगी ये डगर चुनी क्या है।
छोड़ जाते हैं साथ राहों में,
राह हमने अलग चुनी क्या है।
रफ्ता-रफ्ता ही सही बात बनी,
कोशिशों में हुई कमी क्या है।
©A
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