अब बस

दर्द की शीलाजब रख रहे होमेरी जीवन शैलीके चलन परतब तुम कोईचन्दन नहीं होजो अपने जीवनसे खुशबू बिखेरनेको तत्पर होजबकि सच्चाई यहहै कि यह सब करनातुम्हारी परवरिश मेंशामिल हैंजहां अहम … Read More

ग़ज़ल

उनकी बाहों में हम यूँ समाने लगे,पल मिलन के हमें फिर सुहाने लगे। गर नजर आ गई मंजिलें दूर से,बंद होठों से भी मुस्कुराने लगे। सारी रस्में निभाने लगे थे … Read More

जब ठान लो

उड़ान जब भरने कीआहट ही की थी कितमाम हौसलों कोजबरदस्त टक्करदेने को तैयार हो गईसंस्कार की बैठकेंसमाज की इज्जतऐसा कभी नहुआ की चौपालेंघर की चोखटमुंह बंद कर कदम पीछेकरने के … Read More

ऐ दिल सम्हल जा जरा

(अंतिम भाग 8 ) चिल्ला पीराने पीर गौसुल आजम यहाँ हजरत मुबारक की एक ईंट दफन है। करीब ही एक सय्यद साहब की मज़ार है। दालान का सहन देखने से … Read More

ऐ दिल सम्हल जा जरा

(भाग 7 ) मस्जिद तिलोक बाई मशहूर गीतकार तानसेन की बेटी तिलोक बाई ने यह मस्जिद बनवाई थी। हजरत बीबी हाफिजा जमाल हजरत ख़्वाजा गरीब नवाज़ की साहबजादी थी, मजार … Read More

ऐ दिल सम्हल जा जरा

(भाग 6) सहने चिराग से थोड़ा फासला तय करने के बाद दो दुकानों के दरमियान एक दरवाजा आता है जिससे गुजरने के बाद मग्रिब की तरफ एक छोटा सा जालीदार … Read More

ऐ दिल सम्हल जा जरा

(भाग 5) गरीब नवाज के गुम्बद का अन्दरूनी हिस्सा संगे बिस्ता है जिस को चूने से बनवाया गया है और बाहर का हिस्सा ईंटों से तैयार किया है। डांट पर … Read More

ऐ दिल सम्हल जा जरा

(भाग 4) शिप पर हमेशा समय की पाबंदी होती है फिर भी रघुवीर को जब भी मौका मिलता आदर्शिनी से बात करता। वह अपने काम के नये नये रोमांचित कर … Read More

ऐ दिल सम्हल जा जरा

(भाग 3) आदर्शिनी को नौकरी मिल गई। उसने एक पत्र रघुवीर के नाम लिखकर छोड़ा और आपने घर को लौट आई, आगामी आठ दिनों के अन्दर उसे नौकरी पर आना … Read More