ग़ज़ल Gajal

जो मिला उस ईश के आभार से,
डर ऐ बंदे उस बड़ी सरकार से।

दूर रहकर प्यार में तड़पन मिली,
चाहतों के भी भरे बाजार से ।

हमको रुसवा वो करें जब बे वजह
कृष्ण! रख लो आबरू इस वार से।

बिन पुकारे भी पुकारा है लगे
इस तरह रिश्ते निभे दिलदार से ।

जानकर अनजान बनते बारहा,
खो रहे ईमान क्यों किरदार से।

©A

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