आसमान बुनती औरतें
उपन्यास भाग (136) खूब सारे पैकेट हाथ में लिए हुए वह व्यक्ति अंदर आया और उसने एक टेबल पर करीने से सब सामान सजा दिया। रघुवीर की मम्मी ने टेबल … Read More
उपन्यास भाग (136) खूब सारे पैकेट हाथ में लिए हुए वह व्यक्ति अंदर आया और उसने एक टेबल पर करीने से सब सामान सजा दिया। रघुवीर की मम्मी ने टेबल … Read More
भाग (135) चाय नाश्ते के बाद आराम से बैठकर चर्चाएँ शुरू हुई चारों के बारे में जानकारी ली गई सबके घर परिवार के बारे में पूछा गया और बड़ी सहजता … Read More
भाग (134) चारों चुप है क्या कहें कुछ सेकंड बाद ही वह लोग उठ कर चले गयेरघु ने पलट कर देखा कि मॉम डैड फ्री हुये हैं तो खड़ा हुआ, … Read More
भाग (133) “सॉरी.. सॉरी मैं लेट हो गया.. प्लीज-प्लीज बैठिए आप लोग आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई, एक फोन भी नहीं किया आप लोगों को आसानी से मिल … Read More
भाग (132) दूसरे दिन रविवार होने की वजह से हर्षा को जल्दी नहीं है वह आराम से तैयार होती रही क्योंकि सब ने निश्चय किया था कि बारह बजे एक … Read More
भाग (131) शाम को हर्षा घर पहुँचती नानी जी घर पर है तबीयत खराब रही होगी तभी नानी जल्दी घर आ गई। “क्या हुआ है नानी जी,आप पेलेस से जल्दी … Read More
भाग (130) “रमन आया हुआ है और वह रघुवीर से मिलने भी जायेगा।”…शाम को राखी से पूछना नहीं पड़ा उसने बता दिया। “क्यों रखी, तुमने पहली बात तो उसे यह … Read More
भाग (129) “हलो रघु।”…हर्षा से नहीं रहा गया। “हाय हर्षा, कैसी हो।”… “मैं ठीक हूँ, एक बात करनी है इसलिए फोन लगा लिया, व्यस्त तो नहीं हो।”…हर्षा ने पूछा। “हाँ … Read More
भाग (128) “नमस्कार, आप यहाँ कैसे, सॉरी.. सॉरी मेरा मतलब है कि आप आने वाले हैं राखी से चुकी मुलाकात नहीं हुई तो पता भी नहीं चला।”…हर्षा अपने ही बात … Read More
भाग (127) लौटते में विनय ने हर्षा को उसके ऑफिस छोड़ा फिर अपने ऑफिस निकल गया।आज का दिन उन दोनों के लिए बहुत ही बेहतरीन दिन रहा, हर्षा इस बात … Read More