आसमान बुनती औरतें
भाग (130)
“रमन आया हुआ है और वह रघुवीर से मिलने भी जायेगा।”…शाम को राखी से पूछना नहीं पड़ा उसने बता दिया।
“क्यों रखी, तुमने पहली बात तो उसे यह बात क्यों बताई, यह अपने बीच की बात थी।”… हर्षा परेशान स्वर में बोली।
“मैंने यह बात नहीं बताई है वह तो अपनी ही इच्छा से आया हैं मैंने कोई बात नहीं की, हाँ यह बात जरूर है कि रमन ने कहाँ कि वह अपने बिजनेस के सिलसिले में आया है, मुझसे पूछा था कि कल फ्री हो तो साथ चलना, मैंने बताया कि कल मैं नहीं जा सकती क्योंकि कल मुझे मेरी सहेली के लिए एक लड़के के यहाँ जाना है जहाँ बात पक्की होनी है।”…राखी ने बताया।
“क्या.. क्या सोच गई मैं, चल यह तो बहुत अच्छा हो गया, अच्छा तो रमन कि शरारत है यह, मुझे चौंका दिया।”…हर्षा को थोड़ी राहत मिली।
“तुम क्या सोचने लगी थी, रमन तो सुबह ही निकल जायेगा जबकि हम लोगों कि तो दोपहर में जाने कि बात तय है इसलिए वह हमारे साथ नहीं जा रहा हैं और पता नहीं शाम तक रुके भी या नहीं।”… राखी ने बताया।
“क्या इस विषय में रानी से बात हुई तुम्हारी।”…
“नहीं अभी किसी से भी बात नहीं हो पाई क्योंकि यह बात मुझे आज दोपहर में ही पता चली जब रमन फ्लाइट में बैठने के पहले मुझे बताई, तुम्हें बताया तो है पहले, रमन ऐन वक्त पर अपने आने कि बात बताता है।”…
“रमन, रघु एक साथ पढ़े हैं क्या ? कैसे जानते हैं ।”…
“मुझे नहीं पता रमन मिलेगा तो बतायेंगा क्योंकि ज्यादा बात तो हो नहीं पाई थी।”…
“आराम से पूछ लेना कोई जल्दी नहीं, मुझे बड़ी घबराहट हो गई थी मैंने रघुवीर को फोन लगाया था उसने भी बताया कि उसका कोई दोस्त आ रहा है।”…राहत कि सांस ली हर्षा ने।
“यह तो ठीक हो गया कि तुम्हें भी पता चल गया कि रघुवीर को मालूम है इस बारे में, इसलिए अब परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि बहुत सारे बिजनेस के ऐसे काम है जो मुझे आज भी नहीं पता है हो सकता है रमन, रघुवीर को पहले से जानता हो और चुकि हम रानी की वजह से रघुवीर को जान पाये हैं इसलिए ऐसा लग रहा है।”… राखी सोचते हुए बोली।
क्रमश:..