ग़ज़ल
बहर 2122,2122,212 आज उनसे यक-ब-यक मिलना हुआ,ख्वाब बरसों का जो था सच्चा हुआ। जो भी किस्मत को यहाँ पर मानते,रास्ता उनको मिले जलता हुआ। आज बदबूदार उस बस्ती में भी,एक … Read More
तेरे ख्वाबों में. डूब जायें हम,एक दुनिया नई बसायें हम। ज़ुल्म दुनियां के क्यों उठायें हम,आओ आवाज़ अब उठाएँ हम। ख़ुश्क फूलों से झांकती यादें,ख़ुद को इसमें जरा डूबाएँ हम। … Read More