तेरे ख्वाबों में. डूब जायें हम,
एक दुनिया नई बसायें हम।
ज़ुल्म दुनियां के क्यों उठायें हम,
आओ आवाज़ अब उठाएँ हम।
ख़ुश्क फूलों से झांकती यादें,
ख़ुद को इसमें जरा डूबाएँ हम।
हो गई सुबह अब तो जाग उठो,
वक्त क्यों कर भला गवाएँ हम।
नानी यादों में गुम दलान में है,
शोर क्यों बे वजह मचाएँ हम।
©A
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