ग़ज़ल
दिल का ज़ख्म हरा है अब तो,
मेरा प्रिय सखा है अब तो।
प्यार का किस्सा छुपा के रक्खा,
सब पे ज़ाहिर हुआ है अब तो।
हर इन्साँ में रब को देखिये,
रूह की ये ही दवा है अब तो।
मिलके बिछडने पर ये लगा है,
जीवन एक सज़ा है अब तो।
सींचा है जिसको अश्कों से,
प्यार का फूल खिला अब तो।
खौफज़दा वो सपने मैं होकर,
दिल मेरा ये भागा अब तो।
इक दिन मंज़िल मैं पर लूंगा,
करता यही इरादा अब तो।
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