ग़ज़ल

बहर
2122,2122,212

जो मिला उस ईश के आभार से,
डरके रहिये उस बड़ी सरकार से।

दूर रहकर प्यार में आँसू मिले
चाहतों के इस भरे बाज़ार से ।

हमको रुसवा जग करे जब बेसबब,
कृष्ण रखते आबरू इस वार से।

बिन पुकारे भी पुकारा सा लगे,
इस तरह रिश्ते रखो दिलदार से ।

जानकर अनजान बनते आदमी,
खो रहे ईमान क्यों किरदार से।

©A

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