ग़ज़ल Gajal
सुर्मई आँख सजाने की जरूरत क्या थी,सोए जज़्बात जगाने की जरूरत क्या थी । देर तक बात चली आपकी उस महफिल में,पर वहाँ बात उठाने की जरूरत क्या थी । … Read More
सुर्मई आँख सजाने की जरूरत क्या थी,सोए जज़्बात जगाने की जरूरत क्या थी । देर तक बात चली आपकी उस महफिल में,पर वहाँ बात उठाने की जरूरत क्या थी । … Read More
पड़ोस में रह रही आंटी के यहाँ लगे पान की बेला से रितिक अक्सर ही चिढ़ता है क्योंकि जब भी मोहल्ले में किसी को पूजा के लिए पान के पत्तों … Read More
तू मेरा इस तरह हुआ कब है,सुन रहा तू मेरी सदा कब है। एक बेनूर सी सहर है यह,उसके दामन की यां हवा कब है। तुमने रिश्ता तो बेसबब तोड़ा,मुझसे … Read More
सावनी जब से शादी करने इस घर में आई है, घर के लगातार काम के चक्रब्यू में ऐसी उलझकर रह गई है कि वह घर में कैद हो गई है, … Read More
बदला नहीं वो ठोकरे खाकर नहीं बदला,जिसको न बदलना था वो मरकर नहीं बदला। वह डर गया है आदमी दौलत की चमक से,शायद तभी घर का अभी छप्पर नहीं बदला। … Read More
तुलसीदास ने धर्म समाज राजनीति परिवार आदि में समन्वय स्थापति करते हुए तत्कालीन साहित्य के क्षेत्र में भी अद्भुत समन्वय की स्थापना की। यही कारण है कि तुलसी ने अवधी … Read More
इस कदर वो दिल दुखाते आजकल,प्यार कब सच्चा निभाते आजकल । कर रहे हैं इस कदर गुस्ताखियाँ,मुझको नीचा ही दिखाते आजकल । दिल्लगी दिल की लगी अब बन गई,तालियाँ ही … Read More
ख्याल ने ख्यालों कोउलझा रखा हैन चाहते हुए भीहर वक्त मासूम सीजो चुहल करते रहते होकितना समझ पाओगेदिल की हद तो यह हैएक दिन खुद बखुदजान जायेंगेजो बंधन उपरसे बंधकर … Read More
‘स्पर्श’ शब्द को स्मरण करते ही सर्वप्रथम जो कुछ होता है, उससे मन कल्पनाओं से भर उठता है । मन रुपी चट्टान पर जमीं यादों की परतें, जब एक-एक कर … Read More
घबराकर मूंदकरआँखें बाहरी दृश्यनहीं दिखतेलेकिन दिलजो बिना देखेंसब देख रहा हैउसका क्या करोगेजानते हो जब तुम्हेंजाना भी नहीं थातब भी इस दिल नेअहसास करा दियासारथी बन तमाम उम्रसाथ चलना हैयह … Read More