फकीरी Fakiri
ख्याल ने ख्यालों को
उलझा रखा है
न चाहते हुए भी
हर वक्त मासूम सी
जो चुहल करते रहते हो
कितना समझ पाओगे
दिल की हद तो यह है
एक दिन खुद बखुद
जान जायेंगे
जो बंधन उपर
से बंधकर आया है
उसे तोड़ना
किसी के बस की
बात ही नहीं है
फिर मानकर भी
झूठे आवरण को
उतार क्यों नहीं देते
नियती स्वीकार लो
दिल को सुकून का
माहौल दो
मान भी जाओ
हमारे प्यार की
फकीरी
बहुत अमीर है।
© A