ग़ज़ल
कौम को लड़वा रहे हैं,चाहतें ठुकरा रहे हैं। अब हया बाकी कहाँ है,नाक ही कटवा रहे हैं बेवफा दुनिया का आलम,भय सभी अब खा रहे हैं । बेसबब कुछ लोग … Read More
सावनी जब से शादी करने इस घर में आई है, घर के लगातार काम के चक्रब्यू में ऐसी उलझकर रह गई है कि वह घर में कैद हो गई है, … Read More
कात्यानी कॉलेज में अपनी पढ़ाई में तल्लीन थी उसी समय उसके घर वाले उसके लिए अच्छा घर वर देखने में मशगूल। माता-पिता तो चाहते ही हैं कि अच्छा खाता पीता … Read More
एक दिन महिला दिवस मनाना कितना सार्थक है यह महिलाओं को तय करना होगा। किसी भी परिपाटी को लेकर आने से पहले सम्पूर्ण बातों को गौर करना था एक दिन … Read More