आज उनसे यक-ब-यक मिलना हुआ,
ख्वाब बरसों का जो था सच्चा हुआ।
जो भी किस्मत को यहाँ पर मानते,
रास्ता उनको मिले जलता हुआ।
आज बदबूदार उस बस्ती में भी,
एक ओहदेदार का आज आना हुआ।
फूल-तितली और फिर ठंडी हवा,
उस चमन पर दिल है दीवाना हुआ।
चांदनी परचम उठाए रात का,
क्या पता कब सुबह का आना हुआ।
©A
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