ग़ज़ल
हर पल नसीब का अजी शिकवा न कीजिए,
जिंदा दिली से जीना है तो रोया न कीजिए।
मौसम बाहर का है चमन में रहेंगे साथ,
चुभते हैं ख़ार दिल मेरा तोड़ा न कीजिए।
आ ही गये हैं ज़ीस्त में तो रहिए उम्र भर,
यूँ छोड़ के जाने का इरादा न कीजिए।
किस्मत में ग़म लिखा है तो स्वीकार करें,
हसरत से औरों की खुशी देखा न कीजिए।
काया निरोग रखनी है तो कोशिशें करें,
किसने कहा है आपसे योगा न कीजिए।
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