ग़ज़ल

2122 1212 22 .इस ज़माने को आज़माना है,ज़िन्दगी को हंसी बनाना है। तीरगी अब यहाँ मिटाना है,कोई ऐसा दिया जलाना है। तुमसे रूठा हूँ मनालो आकर,पास मेरे यही बहाना है। … Read More

उतरी बहकी सांझ

अलसाई थी चिहुंक-चहकी-सीढलने लगा दिनपहर-घड़ीअलसाई अँखियों में छाई लाली,उतरी सांझ बहकी-बहकीपनघट पर ओर चली गोरीपलकों में लाज भरीसकुच भरी ढूंढ रहीकहाँ है सजना सखी ?कल-कल करता झरनाबात प्रीत की करताप्यार … Read More

ग़ज़ल

2122 12 12 22 खेल रब के बड़े निराले हैंदिल भी इन्सान के शिवाले हैं। जब हंसी वादियाँ नहीं भाईंहमने वीरान घर सम्हाले हैं। जबभी मौसम ने ली है अंगड़ाईफूल … Read More

वरेच्छा का सच

चाहत जानेकब जवान होने लगी ?सपनों की एकपोटली बंधी श्रृंगारदानीप्रसाधनों से भर गई।कितनी ही बारबेख्याली में मुस्कुराईआँखों मेंशबनमी रुत उतर आई। लाज से दोहरीहो हो गईआगे-पीछे तोकभी तिरछी हुईहर कोण … Read More

रच दो नया

किस तरह केरिवाज बने है इस दुनिया में ?बेटी सेएक पल मेंअर्धांगिनी बनअपनों का साथक्यों कर छूट जायेगाइस पीड़ा कीपराकाष्ठा का अनुमान है क्या ?क्यों पुरुष कोविदा नहीं किया किसी … Read More

सम्हल के

कुछ आपनो कोअपना समझनाकुछ ना समझनाअन्तर तो हैखोज खबर कीकसोटी को कस कर पकड़नाकिस्से तमाम उम्र केबाहर टहलते मिल जायेंगे। इनके पर्चे गली केहर घर की दीवारों परचस्पा मिलेंगेजो यदा … Read More

सिकन्दर

तुम जानते हो नइबादत औरआरज़ू के मध्यफासला नहीं होता,फिर कहाँ खो गयामेरे अरमानों का परकोटा ?क्यों थाम नहीं लियाउन गुजरते हुए पलों को ? ?रोक ही लेना थाजाते हुए कोआँचल … Read More

ग़ज़ल

कोई मंज़िल न आशियाना है,सारी दुनियां मेरा ठिकाना है। मैं भी बैठी हूँ इनकी छाया में,इन दरख़्तों से आबो-दाना है । राह देखे कोई, कोई परखे,अब ये जीवन यही बिताना … Read More

तुम हो तो

रंग बिरंगे फूलों वालीतेरे बदन पर छाएहरियाली की डालीतू मतवाली, छैल छबीलीबलखाती लहरातीआती जाती फिर आजसवर के कहाँ चलीमस्त पवन में डोल रही हैआँचल को यूँ सहलातीकुछ तो कह देया … Read More

ग़ज़ल

रोग आये तो पहले दवा दीजिए,साथ में आप उसको दुआ दीजिए। दिल में नफ़रत नहीं कोई बाकी रहे,दूरियाँ आपने दिल की मिटा दीजिए। प्यार करने के लम्हें बहुत कम यहाँ,क्यों … Read More