तुम हो तो

रंग बिरंगे फूलों वाली
तेरे बदन पर छाए
हरियाली की डाली
तू मतवाली, छैल छबीली
बलखाती लहराती
आती जाती फिर आज
सवर के कहाँ चली
मस्त पवन में डोल रही है
आँचल को यूँ सहलाती
कुछ तो कह दे
या फिर इन फूलों की
पैजनियाँ बांध मचली
अमलतास की छाव तले
रूप निखार रही अलबेली
अरे तू वही तो है
जो हमारे पैरों के नीचे
रहकर हमेशा दबी पली
इन छोटे-छोटे फूलों ने तेरे
रूप को दिया निखार सहेली
तभी मस्त मलन्द हो,
खुले गगन में
सघन वन में
डगर-डगर बिछी छबिली
संग प्रित संग
लहरा रही आँचल अपार
हे सखी मतवाली,
तुम्ही मेरी हमदम
सृष्टि की पालनहार
तुम से है जीवन पगली।

©A

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