ग़ज़ल

रोग आये तो पहले दवा दीजिए,
साथ में आप उसको दुआ दीजिए।

दिल में नफ़रत नहीं कोई बाकी रहे,
दूरियाँ आपने दिल की मिटा दीजिए।

प्यार करने के लम्हें बहुत कम यहाँ,
क्यों न शिकवे गिले सब भुला दीजिए।

आज नाविक नया नांव मझधार में,
अपनी किश्ती किनारे लगा दीजिए।

आपको देखने को तरसते नयन,
यूँ ही हमको न कोई सज़ा दीजिए।

हो सके तो जरा मान भी जाइये,
बात सच-सच सभी को बता दीजिए।

@A

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