गीत

वह खेतों की मिट्टी सोंधी, हरियाली मनभावन,देख-देख जिसको मस्ती में झूम उठे यह मन।यहाँ शहर की धुंध-घुटन वह शीतलता यहाँ कहाँ…१अमराई में विकल गूँजती, कोयलिया मतवाली,ची-ची चिड़ियाँ जहाँ, फुदकती फिरती … Read More

ग़ज़ल

सुर्मई आँख सजाने की जरूरत क्या थी,सोए ज़ज्बात जगाने की जरूरत क्या थी। देर तक बात चली आपकी उस महफिल में,पर वहाँ बाद उठाने की जरूरत क्या थी। हमने माना … Read More

कमजोर न समझो

अच्छे खासे सरकारी डॉक्टर से शादी हुई थी लेकिन इतना कसाई निकला जितने औजार वह मरीजों पर चलाता होगा उससे कहीं ज्यादा वह अपनी बीवी पर चलाता है बिनी पहले … Read More

प्रकृति है माहिर

कोयल की कूकप्रकृति की पंचम स्वर लहरीगूंज उठी अमलाई मेंलो ! शुरू हो गए गीत महोत्सव । कालचक्र की तरुणाई मेंऋतुराज कामनभावन रंग छाने लगाउपवन के ह्रदय तल मेंपुष्प खिलने … Read More

सुन जीवन

बेख्याली के चलतेदरक गयेनादानियों के शहर दर शहरजाने कितने अनमोल पल। चुक ही तो हुईसुनहरे सपनों को परवान चढ़ाजीतने के वह सारे दावेजाने कहाँ लुप्त हो गयेतमाम हौसलों के पर … Read More

ग़ज़ल

सामना गर्दिशों का जरा तो करो,अपने रब से ख़ुदारा दुआ तो करो। अब उतारो भी चोला जरा झूठ का,बात सच हो अगर सामना तो करो। बाग़ की जो है रौनक … Read More

आराधना

श्रृंगार किये बैठीमन की योवनाप्रेम में पगीडूबती उतरतीमस्त पवन मेंझूम जायेभूली अपने कोरमी अपने ही मेंदीप जल उठेमन सेमन के मिलन केसंगीत नये रच रहेनील गगन मेंस्वर मिलकर बह रहेमधुवन … Read More

मैं नदी हूँ

क्यों छल कर रहे हो ?मैं तोममता की मूरत रही सदैव ही,मुझ में हैवानियतक्यों भर रहे तुम्हीं ?गंगा-यमुना, गोदावरी, नर्मदाअब भी बहती है सबपर तुमने सभी कोकरके दूषितअब तो वहाँ … Read More