गीत
वह खेतों की मिट्टी सोंधी, हरियाली मनभावन,देख-देख जिसको मस्ती में झूम उठे यह मन।यहाँ शहर की धुंध-घुटन वह शीतलता यहाँ कहाँ…१अमराई में विकल गूँजती, कोयलिया मतवाली,ची-ची चिड़ियाँ जहाँ, फुदकती फिरती … Read More
अच्छे खासे सरकारी डॉक्टर से शादी हुई थी लेकिन इतना कसाई निकला जितने औजार वह मरीजों पर चलाता होगा उससे कहीं ज्यादा वह अपनी बीवी पर चलाता है बिनी पहले … Read More
कोयल की कूकप्रकृति की पंचम स्वर लहरीगूंज उठी अमलाई मेंलो ! शुरू हो गए गीत महोत्सव । कालचक्र की तरुणाई मेंऋतुराज कामनभावन रंग छाने लगाउपवन के ह्रदय तल मेंपुष्प खिलने … Read More
“मैं, कल तुम्हारे शहर पहुँच रहा हूँ, पहुँचकर जगह बता दूँगा आ जाना, बाकी सब ठीक है न….दिवा ने मेसेज पढ़ा तो एक ठहरी हुई सी मुस्कान को उछाला। पता … Read More
दक्षा उम्र के उस पड़ाव पर हैं कि जहाँ तर्क कुतर्क की कोई जरूरत नहीं होती, होता है तो सुनहरे सपनों का संसार, विश्वास की मोटी चादर जिसके परे प्रेम … Read More
क्यों छल कर रहे हो ?मैं तोममता की मूरत रही सदैव ही,मुझ में हैवानियतक्यों भर रहे तुम्हीं ?गंगा-यमुना, गोदावरी, नर्मदाअब भी बहती है सबपर तुमने सभी कोकरके दूषितअब तो वहाँ … Read More