Kundan कुंदन
“लल्ला, जब कमाने लगोगे, तब फरमाइसे पूरी करना, अपने भैया की सीमित आय से घर खर्च निकल जाये, यही क्या कम है, अब तुम भी इस घर को चलाने में … Read More
“लल्ला, जब कमाने लगोगे, तब फरमाइसे पूरी करना, अपने भैया की सीमित आय से घर खर्च निकल जाये, यही क्या कम है, अब तुम भी इस घर को चलाने में … Read More
आँख मिचोलीकभी आँसू तोकभी उदासी पलीइक पल रौनकदूसरे पलबदली कालीआई ऐसी घड़ीइम्तहान लेनेपीछे पड़ीपिघल रहाधैर्य का हिमशिखरनीति क्यों हो रहीस्वच्छंदकिसी के बांधेनहीं बँध रहाजीवन तंत्रसाथ देने कोहट जातेसारे विकल्पयूं ही … Read More
छोड़ दो हमको फिर गुनगुनाते हुएबस यूँही चार रस्में निभाते हुए। कर रहे हो अदावत भला किसलिएफिर रहे हो जो नज़रे चुराते हुए । गर्म बाज़ार है क्या ख़रीदोगे तुमतुम … Read More
आज जब दुकान पर सामान लेने पहुँची तो वह वहाँ पहले से ही मौजूद हैं, उसने उचटती नजर से उसे देखा, फिर अपना सामान निकलवाने के लिए दुकानदार को बताने … Read More
अपना अक्सतुझमें, मुझसाही दिखतातुम भी शीतलमैं भी शांतउफनी हो तोबिफरी हूँ मैंचलती, बहतीरमती तुम सीडूबती,उबरतीरुकती, सूखतीचटकती, दरकतीसम्हलती, सवरतीझुकती, उठतीठिठकती,गुजरतीगिरती, सम्हलतीनदी, नाले ,सागरपहाड़ों में रमतीजोगीन, तपस्याचन्दन, तीलक सीमाथे पर सजतीबहती हूँ … Read More
उसकी उड़ानें बहुत ऊँची हैं, बहुत कुछ करना, बनना चाहती है, जीवन में वह उसके कैरियर में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहे थे उसके माता-पिता, उसकी खूबसूरती ने उसे कॉलेज … Read More
दिखाएगी अब रंग क्या जिंदगी,कोई पल तो राहत दिला जिंदगी। कोई मुझसे क्यों है ख़फा ये बता,मनाने के गुर भी सिखा जिंदगी। जड़ें मजहबों की हैं गहरी बहुत,समझने को है … Read More
लंबे-लंबे डग भरती वह जाने कितनी दूर चली आई है, पीछे मुड़कर देखा होता तो साफ जाहिर हो जाता कि वह डर रही है। सामने ही पार्क का गेट है, … Read More