कविता Resham dor रेशम डोर Anjana March 22, 2021 तुम सेजीवनगुलशनसौगात में मिलीमुस्कान जोगंगाजल समझग्रहण कियाजहाँ पड़ेचरण तुम्हारे मेरा नंदनवनवही हुआबांसुरी के बोलमधुरम हो उठेतार उलझेजीवन केखुलने लगेमुग्ध तन मनछवि परझरने लगेप्रिय के द्वारबंजारे बसने लगे…। Post Views: 527