Resham dor रेशम डोर

तुम से
जीवन
गुलशन
सौगात में मिली
मुस्कान जो
गंगाजल समझ
ग्रहण किया
जहाँ पड़े
चरण तुम्हारे 
मेरा नंदनवन
वही हुआ
बांसुरी के बोल
मधुरम हो उठे
तार उलझे
जीवन के
खुलने लगे
मुग्ध तन मन
छवि पर
झरने लगे
प्रिय के द्वार
बंजारे बसने लगे…।

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