ग़ज़ल

बहर212,212,212,212 फिर खयालों में उनको बुलाने लगे,याद में उनके आँसू बहाने लगे। रात का ख्वाब फिर याद आया हमें,बंद होठों से भी मुस्कुराने लगे। रस्में-उल्फ़त निभाते रहे हम यहाँ,छोड़कर बीच … Read More

रोज कहानी

रोज-रोज के झगड़े सेहम तो आ गए तंग भाईकभी किसी से कभी किसी सेबात हमारी न बन पाईरात दिन हम एक करतेदिल लगा कर खूब पढ़तेफिर भी रहते सबसे पीछेहम … Read More

किंवदंतियाँ लोक कथाएँ

एक समय की बात है, खूबसूरत राज्य उत्तराखंड में एक बुजुर्ग दंपत्ति रहते थे, जो अपने आस-पास के सभी लोगों के प्रति अपनी दयालुता और प्यार के लिए जाने जाते … Read More

ग़ज़ल

ग़ज़ल 122 122 122 122नदी को समंदर में जाना पड़ेगाहमें ज़ीस्त यूँ भी बिताना पड़ेगा । रहम करने वाले यक़ीनन बड़े हैंउन्हें अपना रहबर बनाना पड़ेगा। बुरा हाल होता यहां … Read More

सोच के दायरे

ज्ञानसिंह ने रिटायरमेंट दो साल पहले ले लिया कुछ विभागीय उलझनों से बचने के लिए, उसे लगा रिटायर होने और रिटायरमेंट लेना दोनों ही परिस्थितियाँ आज खतरनाक हो गई हैं, … Read More

अति सुन्दर

हिरनी सी यह मस्त पवनडोल रही अम्बरतलकल-कल करते निर्मल झरनेशोभित होते अति सुंदरनील गगन में उड़ते पक्षीकरते वातावरण गुंजितमनोभाव है सतत सजोयेसावन की रुत के अन तलमोर मयूर सुशोभित करतेवन … Read More

रुठे बन्दर जी

रूठे क्यों हो बंदर जीसूजे क्यों हो बंदर जीदंगे फसाद में क्यापिटाई हुई जीमुँह फूला तरबूज जैसाहाथ पांव हुए लौकीयह क्या हालत बना ली अपनीबोलो कालू बंदर जीराजनीति में खड़े … Read More

ग़ज़ल

मेरे सांवरे की निशानी न पूछो,मधुर बांसुरी की रवानी न पूछो ये बाँधी है सीमाएँ इक दिन हमी ने,मेरी चाहतों की कहानी न पूछो। मैं आराधना सृष्टिकर्ता की करती,इबादत की … Read More