ग़ज़ल
बहर212,212,212,212 फिर खयालों में उनको बुलाने लगे,याद में उनके आँसू बहाने लगे। रात का ख्वाब फिर याद आया हमें,बंद होठों से भी मुस्कुराने लगे। रस्में-उल्फ़त निभाते रहे हम यहाँ,छोड़कर बीच … Read More
एक समय की बात है, खूबसूरत राज्य उत्तराखंड में एक बुजुर्ग दंपत्ति रहते थे, जो अपने आस-पास के सभी लोगों के प्रति अपनी दयालुता और प्यार के लिए जाने जाते … Read More
ज्ञानसिंह ने रिटायरमेंट दो साल पहले ले लिया कुछ विभागीय उलझनों से बचने के लिए, उसे लगा रिटायर होने और रिटायरमेंट लेना दोनों ही परिस्थितियाँ आज खतरनाक हो गई हैं, … Read More
आज सुबह पांच बजे ही नींद खुल गई, बेचैनी है पता नहीं क्या होगा? पहली बार नौकरी के लिए जा रही है, सोचकर ही हालत खराब हो रही है। दस … Read More
हिरनी सी यह मस्त पवनडोल रही अम्बरतलकल-कल करते निर्मल झरनेशोभित होते अति सुंदरनील गगन में उड़ते पक्षीकरते वातावरण गुंजितमनोभाव है सतत सजोयेसावन की रुत के अन तलमोर मयूर सुशोभित करतेवन … Read More
रूठे क्यों हो बंदर जीसूजे क्यों हो बंदर जीदंगे फसाद में क्यापिटाई हुई जीमुँह फूला तरबूज जैसाहाथ पांव हुए लौकीयह क्या हालत बना ली अपनीबोलो कालू बंदर जीराजनीति में खड़े … Read More