ग़ज़ल
मेरे सांवरे की निशानी न पूछो,
मधुर बांसुरी की रवानी न पूछो
ये बाँधी है सीमाएँ इक दिन हमी ने,
मेरी चाहतों की कहानी न पूछो।
मैं आराधना सृष्टिकर्ता की करती,
इबादत की अनबोल बानी न पूछो।
करें बांसुरी तो मोहित है कान्हा,
करें मुग्ध जमुना का पानी न पूछो।
तेरी बाँसुरी में, बसे प्राण मेरे,
मिरी प्रीत कितनी पुरानी न पूछो।
©A
Apratim
धन्यवाद जी