हिरनी सी यह मस्त पवन
डोल रही अम्बरतल
कल-कल करते निर्मल झरने
शोभित होते अति सुंदर
नील गगन में उड़ते पक्षी
करते वातावरण गुंजित
मनोभाव है सतत सजोये
सावन की रुत के अन तल
मोर मयूर सुशोभित करते
वन उपवन के आँगन
झूम उठा है अब तेरा मन
इस रूत के आनन-फानन।
©A
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