खानापूर्ति

आज सुबह पांच बजे ही नींद खुल गई, बेचैनी है पता नहीं क्या होगा? पहली बार नौकरी के लिए जा रही है, सोचकर ही हालत खराब हो रही है। दस बजे से ग्यारह बजे के बीच पहुँचना था लेकिन घर में साढ़े आठ बजे ही तैयार हो गई, बेचैनी में भूख गायब, नाश्ता भी नहीं कर सकी।

नौ बजे ही घर से निकल गई, कार्यालय के प्रतीक्षा कक्ष में बैठाया गया, साहिल की जिद,ओर बच्चों के तानों की वजह से वह नौकरी के लिए तैयार हुई । समाज सेवा में क्या रखा है, घर से पैसे ही खर्च करती हो, योग्यता है तो नौकरी करो। इस बार उसने भी ठान लिया की नोकरी पाने का प्रयास तो करें, इसलिए वह आज निकल पड़ी।

कितना समय गुजर गया पता ही नहीं चला, इंतजार, इंतजार और लंबे इंतजार के बाद कहीं जाकर एक कमसिन वाला उसके सामने आई, जिसकी टीशर्ट पर कैंडी लिखा है, कुछ अजीब सा लगा। वह कमरे में आई तो अवश्य लेकिन वहाँ पहले से बैठी दूसरी महिला से बातें करती रही।

थोड़ी देर बाद वह उसकी तरफ मुखातिब हो बोली, “हाँ मैडम!आपको कुछ पूछना हो तो बतायें।”….

“मैं क्या बताऊँ।,… आपके यहाँ से फोन आया था, आप बतायें।”

“मैडम! सोशल वर्क का काम है, तनख्वाह तीन हजार है।”…

उसके कानों तक तीव्र झनझनाहट ने साम्राज्य जमा लिया। गाल कानों तक लाल हो गये। ऐसा लगा मानो भरी सभा में अपमानित किया गया है।

“क्या कहाँ जरा फिर से कहना ?”.. उसके मुँह से निकला।

“वो मेडम।”…वह हकला गई।

“आप लोगों ने मैट्रिक पास का तनख़ाह देना तय किया है।”…

“नहीं मेडम शुरुआत में…”….

“क्यों मेरा अनुभव बीस साल होना मांगा गया ?”..बीच में ही बात काटते हुए वह बोली।

वह और भी सकपका गई शायद उसे ऐसे उत्तर की अपेक्षा नहीं थी, कुछ कह न सकी।

“मुझे आपके चेयरमैन साहब से मिलना है।”..उसने तमतमा कर कहां।

“जी आप जरूर मिलिये, मैं पूछ कर आती हूँ।”..कहकर वह नौ दो ग्यारह हो गई और पलटकर नहीं आई।

वह उठी और सोचती हुई सड़क पर आ गई, जहाँ उसे लोगों के लिए काम करते सकुन मिलता है, अपनापन मिलता है, वहीं काम करना ज्यादा बेहतर है। यहाँ तो खानापूर्ति के लिए उन्हें पद भरने की आम सूचना निकालनी होगी, जी हजूरी के तहत पहले से ही पद भरा होगा।

00000

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *