आँख मिचोली
कभी आँसू तो
कभी उदासी पली
इक पल रौनक
दूसरे पल
बदली काली
आई ऐसी घड़ी
इम्तहान लेने
पीछे पड़ी
पिघल रहा
धैर्य का हिमशिखर
नीति क्यों हो रही
स्वच्छंद
किसी के बांधे
नहीं बँध रहा
जीवन तंत्र
साथ देने को
हट जाते
सारे विकल्प
यूं ही चलती
रहेगी आँधी
ऐ जिन्दगी
तू है गर खुश
तो इसी में सही
गुजार लेंगे
हँसी खुशी।
©A
Post Views:
542