Gajal ग़ज़ल
दिखाएगी अब रंग क्या जिंदगी,
कोई पल तो राहत दिला जिंदगी।
कोई मुझसे क्यों है ख़फा ये बता,
मनाने के गुर भी सिखा जिंदगी।
जड़ें मजहबों की हैं गहरी बहुत,
समझने को है क्या बचा जिंदगीी।
ये बेमौसमों की बहारें हुईं,
कहाँ जाएँ तू ही बता जिंदगी।
ये साजिश है गर तो यही देख ले,
सिपाही के घर चोर ला जिंदगी।
अचानक ही कर वार जाती है क्यों,
कभी मुझ से नज़रें मिला जिंदगी।
उसे हमने चाहा तो था टूट कर,
मिली क्यों बिरह की सज़ा जिंदगी।
बता कुछ तो और कुछ सुना भी तो दे,
न अब बोझ मेरा बढ़ा जिंदगी।
यूँ तन्हाइयों का ये आलम न पूछ,
बना दर्द ही आसरा जिंदगी।
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