Hausholo ki udan हौसलों की उड़ान
उसकी उड़ानें बहुत ऊँची हैं, बहुत कुछ करना, बनना चाहती है, जीवन में वह उसके कैरियर में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहे थे उसके माता-पिता, उसकी खूबसूरती ने उसे कॉलेज में मिस ब्यूटीफुल का खिताब दिलवाया, तो साथ ही साथ उसे कुछ पत्रिकाओं और एक कंपनी से विज्ञापन का अनुबंध भी मिल गया, घरवालों से बिना पूछे उसने विज्ञापन के लिए काम भी करना शुरू कर दिया, पैसे आने लगे तो घर में सबको पता चलना ही था, सो पता चला ।
मध्यवर्गीय परिवार, खूब डांट फटकार, के बाद उसे घर में नजरबंद करके, वर की तलाश की गई।
जो मिल भी गया और आनन-फानन में विवाह भी तय किया गया।
गोरी के मन में आया कि क्यों न एक बार होने वाले पति चंद्रकार,
से आपने केरियर की चर्चा कर ली जाए, यदि उसके घर वालों की तरह विचारों के हुए तो वह तो घुट कर मर जाएगी।
ईश्वर ने उसकी सुनी, एक बार जब चंद्रकार मिलने आये तो उन्होंने, उसकी मां से सामने पार्क में घूमने की इच्छा जाहिर की, तुरंत स्वीकृति मिल गई। पार्क में बातों-बातों में ही गौरी ने चंद्रकार को अपने केरियर की योजना बता दी, साथ ही घरवालों की प्रतिक्रिया भी बताई।
चंद्रकार उसकी स्पष्टवादिता से बहुत प्रभावित हुआ, उसे गोरी के सुंदर चेहरे पर उदासी जरा भी अच्छी नहीं लग रही है।
“आप, मुझसे शादी करने को तैयार हो भी या वहा भी ज्यादती हो रही है,”… चंद्रकार ने सहज ही पूछा।
गौरी इस अप्रत्याशित प्रश्न से घबरा गई । वह तो क्रोध के मारे मां-बाप की ज्यादतियाँ ही देखती आ रही है, उसने अपने मंगेतर को तो जी भर कर देखा तक नहीं है।
अब गौरी ने चंद्रकार की ओर देखा, उस सुदर्शन चेहरे पर से उसकी नजर फिसल कर स्वत: ही झुक गई । लाज की लाली गौरी के चेहरे पर फैल गई, चंद्रकार ने हौले से गौरी की पीठ थपथपाई। दोनों ओर से मौन आश्वासन।
एक दिन चंद्रकार, गौरी से पुराने अनुबंध मांग कर ले गया, जवाब की प्रतीक्षा में शादी भी हो गई, गौरी और उदास हो गई।
हनीमून के लिए वह शिमला गए, वहीं चंद्रकार ने गौरी को नया एग्रीमेंट दिया, जिसके अनुसार उसे एक साल विज्ञापन करना है, गौरी को सुखद आश्चर्य हुआ।
गौरी से हस्ताक्षर कराते समय चंद्र ने उसे बताया कि पुराना अनुबंध पूर्ति न होने के कारण उसे आश्वासन देना पड़ा, अब नए अनुबंध के तहत एक साल तुम ही को यह विज्ञापन करना है, मैं यह काम करने देने को तैयार हूँ, अब वह बताये, उसे क्या करना है।
“आप, मेरे काम से खुश होंगें,”…गौरी ने आश्चर्य से पूछा।
“गौरी इस चेहरे को इतना दमकता कभी देखा नहीं, जितना आज तुम खुश हो, मुझे और क्या चाहिए,”.. चंद्रकार ने गोरी के बालों को सहला दिया।
गौरी भावावेश में फफक-फफक कर रो दी। वह अचानक मिली खुशी को सम्हाल नहीं पा रही है। चंद्रकार उसके हाथों को सहलाते रहे, गौरी को सम्हलने में समय लगा।
“चन्द्र, मुझे हनीमून पर इतना बेहतरीन तोहफा दिया है अपने, मेरे हौसलों की उड़ान को आज पंख मिल गये है, यह तोहफा मेरे वजूद को नई पहचान देगा, आपकी इस उदारता के लिए तहे दिल से शुक्रिया करती हूँ,”…गौरी ने अपने दोनों हाथ जोड़ दिये,चन्द्रकार ने हाथों पे हाथ रखकर हमेशा साथ रहने का आश्वाशन दे दिया।
नये युगल के आरंभ को सूर्य की सुनहरी रोशनी अपने आगोश में लेकर असंख्य सपनों को अनन्त आकाश में बिखेर रही है। जहाँ हौसलों की ऊँची उड़ानों को कोई पाबंदी नहीं है।
माकूल जीवनसाथी
मिल जाए तो बात बन जाए….
सच कहा