कोई मंज़िल न आशियाना है,
सारी दुनियां मेरा ठिकाना है।
मैं भी बैठी हूँ इनकी छाया में,
इन दरख़्तों से आबो-दाना है ।
राह देखे कोई, कोई परखे,
अब ये जीवन यही बिताना है ।
तुमको पाने की आरज़ू दिल में
रोते-रोते भी मुस्कुराना है।
बात कितनी ही तुमसे कह डाली,
फिर भी बाकी बचा सुनाना है।
©A
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