ग़ज़ल

2122 12 12 22

खेल रब के बड़े निराले हैं
दिल भी इन्सान के शिवाले हैं।

जब हंसी वादियाँ नहीं भाईं
हमने वीरान घर सम्हाले हैं।

जबभी मौसम ने ली है अंगड़ाई
फूल शाखों पे टाँक डाले हैं।

तेरी रहमत का ये सिला देखा
कर दिए दिल मे भी उजाले हैं।

प्यार होता है नाम ईश्वर का
प्यार के रास्ते निराले हैं।

रात कटती नहीं है क्यों आख़िर
दफ़्न सारे हुनर खँगाले है।

एक उम्मीद दिल में पाली है
मेरे घर आप आने वाले हैं।

©A

2 thoughts on “ग़ज़ल

  1. बहुत बढ़िया ग़ज़ल है। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

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