सम्हल के
कुछ आपनो को
अपना समझना
कुछ ना समझना
अन्तर तो है
खोज खबर की
कसोटी को कस कर पकड़ना
किस्से तमाम उम्र के
बाहर टहलते मिल जायेंगे।
इनके पर्चे गली के
हर घर की दीवारों पर
चस्पा मिलेंगे
जो यदा कदा सुर्खियों की भेंट
चढ़ा ही दिये जायेंगे।
मजाल है
हितैषी
जख्मों को सुखने दें
कुरेद-कुरेद कर
हरा भरा किये रहते हैं।
इनके पास
शहद में डूबे तीर सदा ही
सहानुभूति के साथ
तैयार मिल जायेंगे।
बहुत जरूरी है कि
ढोंगी सहयोग के
आयोजन को रोके
वरना तकलिफ़ की
ऐसी चादर उड़ाई जायेगी
जहाँ बस
छटपटा ही सकेंगे।
बेहतर है ऐसों को
अपना कभी समझा
ही नहीं जाये
सदा दूर रखों इन्हें
जिससे यह बात
शुभचिंतक भी समझ जायेंगे।
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