तेरा होना
पर्वत पिघलने लगे
रितु चंचल होने लगी
शीशे चटकने लगे
सांसे रुकने लगी
दिल पतंग हुए
डोर तेरे हाथ लगी
हवा थम गई
उमंगे फिर भी उड़ने लगी
मोम पत्थर हो गये
रात सुबह में बदलने लगी
मौसम थिरकने लगे
ठंड – ठंड से डरने लगी
शोले बर्फ होने लगे
नदी प्यासी हुईं
भवरे बौराने लगे
खुशबू फूलों से गायब
सजनी के हाथ रीते लगे
लाज बेशर्म हुईं
जंगल मैदान होने लगे
समुद्र की प्यास बढ़ने लगी
घर वीरान लगने लगे
पगडंडी मेहंदी भरने लगी
सब कुछ बदला
मात्र तेरे होने के एहसास से …।
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