सच का खौफ
खुसफाहमी की चाहतें पालती जवान हुईसपनों की एक पोटली बँधीप्रसाधनों से भर लीश्रृँगारदानी में रंग बिरंगीआभा समेटेहोठों बीच मुस्कान अटककर रह गईजरा सा आँचल क्या लहरायालाज ने परचंम फहरायाआगे पीछे, … Read More
जब से माहिया इस घर में आई है तभी से उसने एक बात नोटिस की है, इस घर का बड़ा बेटा किसी न किसी बहाने उसे छूने कि कोशिश कर … Read More
कोयल की कूकप्रकृति की पंचम स्वर लहरीगूंज उठी अमलाई मेंलो ! शुरू हो गए गीत महोत्सव । कालचक्र की तरुणाई मेंऋतुराज कामनभावन रंग छाने लगाउपवन के ह्रदय तल मेंपुष्प खिलने … Read More
तुम्हें पता भी हैतुम्हारा कुछसामान मेरे पास हैवह चिलमन काउठना गिरनाशरारत से आँखें तरेरना,देख कर अनदेखा करनाआहट न आने परपलट कर देखनाइन सब के बीच जो पल थेवह हैं मेरे … Read More
रविवार की एक दोपहर माँ ने बालों में तेल कि मालिश के लिए अपने पास बुलाया। कृति बेटी इस समय सोलह वर्ष कि हो चुकी है। कृति आँखें बन्द किये, … Read More
चलो सखीदेखो तुम भीहवा के संग घुलते रंगउत्साह सेभरे झोलीचारों ओरबिखेरे उमंगढोल नगाड़ेगीत संगीत, चली आ रहीमस्तानों कीभीगी सराबोर टोली। बचा सको तोबचा लोशर्म हया की चोलीनित घीस धोयेंरंग भरी … Read More
फागुन ने जबली अंगड़ाईघर आँगन महकेचहकेगलियाँ चौबारे। ताल तलैयाझांझ मंजीराहुरियारे गाते गीतपंगडंडी राह निहारे। आये मस्तानोंकी टोलीझूम झूमकर गाती होलीलहराती बरगद कीटेहनी निगोड़ी। करलव कर मौन हुए हैंसंध्या को सब … Read More