पान के दो पत्ते Two betel leaves

पड़ोस में रह रही आंटी के यहाँ लगे पान की बेला से रितिक अक्सर ही चिढ़ता है क्योंकि जब भी मोहल्ले में किसी को पूजा के लिए पान के पत्तों की आवश्यकता होती रितिक को आवाज लगाई जाती और उसे अपनी छत से जाकर पान के पत्ते तोड़ने होते।

कई बार ऐसा होता की वह अपनी पढ़ाई कर रहा होता और जब उसे आवाज दी जाती तो वह विरोध में नहीं जाने का संकेत मां या कभी बहन को दे देता।

अक्सर ही यह होता कि रितिक से मान मनुहार की जाती।

“जा, जा तोड़ दे पूजा के लिए है, दो मिनट तो लगेंगे,”… भावनात्मक रूप से उसे मजबूर कर दिया जाता और वह गुस्से में ही जाकर पान के पत्ते तोड़ लाता।

ऐसे समय पर वह पान के पत्ते देने बाहर नहीं जाता बल्कि मां या बहन के हाथ में थमा देता है।

कल ग्राउंड में बैडमिंटन खेलते हुए रितिक का पैर एक तरफ को मुड़ गया और पैर में मोच आ गई, पैर सूज गया है और अब तो रितिक से चला भी नहीं जा रहा। पूरी रात कराहता रहा।

“रितिक, कहाँ है, जरा पान के पत्ते तोड़ देना,”… दूसरे दिन जैसे ही सुबह के नौ बजे रितिक के लिए आवाज सुनाई दी, कसमसा कर रह गया। अंदर कमरे में है इसलिए आवाज भी नहीं लगा पाया।

मां ने जाकर बताया कि उसके पैर में चोट है, पता नहीं उन्हें पान के पत्ते मिले भी या नहीं।

रितिक को अपने आप से ही उलझन होने लगी कि पता नहीं, कौन तोड़ कर देगा, आज कुछ अजीब भी लग रहा है और यह काम न कर पाने पर झुंझलाहट भी हो रही है, रितिक समझ ही नहीं पा रहा, यह अजीब सी बेचैनी क्यों है, क्यों उसे इस काम को न करने का अफसोस हो रहा है। हालांकि डॉक्टर को दिखा दिया गया था लेकिन सूजन अभी भी है।

पड़ोस वाली आंटी को पता लगा, देखने आ गई, रितिक के पैर का मुआयना किया, पोलिथिन में लेकर आई पान के दो पत्ते निकाले।

“इन्हें, तवे पर शूद्ध घी लगाकर गरम करो और इसके सूजन वाले पैर पर लगा दो, पट्टी बांध देना, तुम देखना, कल तक पूरी सूजन उतर जाएगी,”…मम्मी को देते हुए आंटी जी बोली।

रितिक को तो पान के पत्तों को खाने और पूजा के काम के अलावा नहीं पता था कि वह उसके पैर की सूजन भी उतार देंगे, इस चमत्कार को करने के लिए वह तैयार हो गया और अगली सुबह उसकी पैर की सूजन नदारद थी।

पान के पत्ते तोड़ कर देते वक्त जो उसके हाथों में वह पत्ते खुशबू छोड़ देते थे अक्सर कुछ-कुछ देर बाद रितिक उस तीखी गंध को सुंधा करता था। और अब तीन दिन हो गए, उसे वह गंध ही नहीं मिली, ऐसा लग रहा है जैसे उसका पान के पत्तों के साथ चोली दामन का साथ है।

उसे उस दिन की आवाज के बाद कोई पान के पत्ते लेने आने वाले की आवाज भी नहीं आई, ऐसा लग रहा है कि जीवन के एक हिस्से से पान के पत्तों की आवाज देने वालों से भी रितिक का अनचाहा रिश्ता बन गया है।

रितिक ने प्रण किया कि अब कभी भी किसी को पान के पत्ते तोड़कर देने के लिए मना नहीं करेगा, बल्कि खुशी-खुशी यह काम करेगा।

जीवन में हर उस छोटी बातों का महत्व है जिसे हम कई बार अनदेखा कर देते हैं अगर हम इसे समझ जाएं, तो वह हमारे जीवन का हिस्सा भी बन जाते हैं जिसे हम दिल से स्वीकार करें तो खुशी मिलती ही है।

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©A

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