आसमान बुनती औरतें

भाग (131)

शाम को हर्षा घर पहुँचती नानी जी घर पर है तबीयत खराब रही होगी तभी नानी जल्दी घर आ गई।

“क्या हुआ है नानी जी,आप पेलेस से जल्दी घर कैसे आ गई ।”…नानी के करीब जाकर उसने माथा छू कर देखा हल्का गर्म लग रहा है।

“आ गई पुत्तर।”… नानी की आवाज में थकान है।

“हाँ नानी जी, आपको तो हल्का बुखार है आज क्या ज्यादा काम किया है थकान लग रही है आप लेट जाओ मैं आपको गर्म चाय के साथ कुछ खाने को देती हूँ उसके पहले मैं आपको दवा देती हूँ।”…माथा छूकर देखा गर्म लगा, दवा लेने उठी हर्षा।

“हर्षा रहने दे पुत्तर, मैं चाय पी कर आई हूँ, गोली दे दो मुझे आज पता नहीं क्यों थकान लग रही है ।”…नानी बोली।

“आजकल आप अपना ध्यान नहीं रखते हो आपने सुबह की दवा ली थी अपको पिछली बार ही डॉक्टर ने कहा था कि दवा में नागा नहीं करना है।”…

“सुबह की ली तो थी पर थोड़ा लेट हो गई थी पेलेस जाकर ही ले पाई घर से लेकर नहीं गई शायद इसीलिए थोड़ी थकान लग रही है।”…

“यह बात तो गलत है न नानी जी, आपको अपना ध्यान रखना चाहिए, आपकी भी गलती नहीं है मम्मी जी को या मुझे याद रखना था मैं भी अपनी उलझन में भूल गई, सॉरी नानी ।”…हर्षा नानी के करीब बैठते हुए बोली, वह धीरे-धीरे नानी का सर दबाने लगी हाथों को सहलाते हुए पैरों को दबाने लगी, थकान में इन जगहों को दबाने से नींद आ जाती है और अच्छा भी लगता है।

“अब बस कर बेटा, तू भी थकी हुई आई है परेशान क्यों हो रही है गोली ली है तो नींद आ ही जाएगी।”…

“वह तो ठीक है नानी जी, यह बताओ आज दिन में आपने कुछ खाया या नहीं, मैं अभी बना कर लाती हूँ आप पहले थोड़ा सा खा लेना फिर सोना।”… हर्षा रसोई घर की तरफ जाते हुए बोली।

“हाँ दोपहर में ही खाया था, अभी कुछ नहीं खाया।”.. नानी ने बताया।

“इसीलिए नानी थकान हो रही है हो सकता है प्रोटीन नहीं गया हो अंदर तो आपको थकान लग रही है मैं अभी आपका हेल्दी खाना बना कर लाती हूँ बस पांच मिनट का समय दो तब तक आप बर्दाश्त करो मैं आती हूँ।”… कहती हुई तेजी से अंदर निकल गई हर्षा।

उसने फटाफट अंकुरित अनाज,ओर जौ का दलिया डाला और सभी को हल्का सा बघार लगा कर पकने रख दिया, पांच मिनट के बाद एक बॉऊल में लेकर नानी के पास आ गई।

“नानी, यह हल्का सूप जैसा बनाया है आप इसे पी लो अच्छा लगेगा।”… हर्षा ने नानी का हाथ पकड़ के उठा कर बैठा दिया।

“तूने बनाया है तो अच्छा ही होगा, तू भी तो दिनभर की थकी आई है परेशान क्यों हो रही है कुलवीर आती ही होगी कर लेगी।”…

“नानी जी, मम्मी जी भी तो दिन भर में थक जाती हैं अब मेरी बारी है मुझे आप दोनों को संभालना है इसलिए मुझे कोई थकान नहीं होती आप लोगों को अच्छा देखती हूँ न तो मेरी सारी थकान उतर जाती है चलिए जरा मूँह खोलिए सूप पीओ…।

क्रमश:..

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