आसमान बुनती औरतें

भाग (132)

दूसरे दिन रविवार होने की वजह से हर्षा को जल्दी नहीं है वह आराम से तैयार होती रही क्योंकि सब ने निश्चय किया था कि बारह बजे एक निश्चित स्थान पर मिलेंगे और वहीं से सब इकट्ठे होकर जायेंगे।

रानी और स्नेहा साथ आने वाली है, राखी अपने आधे दिन की छुट्टी के बाद आने वाली है क्योंकि उसने कल भी छुट्टी ले रखी है रमन जो आया हुआ है, इसलिए उसे आज काम पर जाना था।

रानी को देखते ही सभी की तबीयत खुश हो गई बहुत सुंदर लग रही थी आज उसने अपने पारंपरिक ड्रेस को छोड़कर वह सलवार सूट पहन कर आई है और इतनी खूबसूरत लग रही है कि उसमें से पैंट शर्ट वाली रानी तो मिल ही नहीं पा रही।

“हाय, अभी तो रघुवीर से मिले ज्यादा समय ही नहीं हुआ और इस पर देखो कितना निखार छाया हुआ है।”.. स्नेहा ने रानी पर आये निखार को देखकर छेड़ा।

“वाह रानी बड़ी प्यारी लग रही हो अच्छा भी है हम सब में तुम ही सुंदर दिखो।”… राखी बोली.

“उसे मत छेड़ो, देखो उसके गाल लाल हो रहे हैं और तुम लोग उसको नजर मत लगा देना अब बस करो, गाड़ी भी आ गई है चलो निकलते हैं।”… हर्षा ने सभी को इंगित किया।

दीघा बीच ज्यादा दूर तो नहीं है लेकिन फिर भी एक घंटे के आसपास तो लगना ही फिर फिर वहाँ थोड़ा सा तलाश करना पड़ा और रघुवीर का बंगला मिल गया सभी टैक्सी से उतरे और उसके घर की भव्यता देखते रहे, बड़ा गेट लगा हुआ है और हरियाली उसके बंगले के चारों और फैली हुई है बीचोबीच बंगला ऐसा लग रहा है जैसे किसी टापू पर बना हुआ हो बेहद खूबसूरत नक्काशी से सजाया गया है दूर से ही देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदर की खूबसूरती और कितनी अच्छी होगी।

आप सब का दिल थोड़ा सा घबरा रहा है आगे चलने के लिए सब एक दूसरे को धकेल रही है चलो तुम आगे चलो आखिर हर्षा को ही निर्णय लेना पड़ा और वह आगे हो ली।

रानी की तो हालत और खराब है एक तो इतना बड़ा घर देखकर ऊपर से रघुवीर का सामना होगा यह सोचकर ही उसको घबराहट हो रही है पता नहीं किस स्वाभाव का है यह रघुवीर भी उसे तो हर कोई नकार के चला गया लेकिन इसने क्या देखा जो पसंद कर लिया और यह पता नहीं कब से चल रहा है इन लोगों का अब रमन भी मिल चुका है पता नहीं क्या चक्कर है।

जैसे ही गेट के पास पहुँची गेट खुल गया, दरबान ने अदब से सर झुकाया और चारों अंदर, बड़े अदब से दरवान ने बैठक तक लेकर गया तभी अंदर के दरवाजे से तेज-तेज कदमों से चलता हुआ रघुवीर आ पहुँचा।

क्रमश:..

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