आसमान बुनती औरतें
भाग (133)
“सॉरी.. सॉरी मैं लेट हो गया.. प्लीज-प्लीज बैठिए आप लोग आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई, एक फोन भी नहीं किया आप लोगों को आसानी से मिल गया घर।”…रघुवीर के स्वर में जहाँ फिक्र है तो वहीं लेट हो जाने का अफसोस साफ झलक रहा है।
“कोई दिक्कत नहीं हुई ड्रयवर आराम से लेकर आया, हम लोग को आने में देरी तो नहीं हो गई।”…हर्षा ने पूछा।
“नहीं, नहीं ऐसी कोई बात नहीं आप बिल्कुल टाइम पर आये हैं और थोड़ा बहुत आगे पीछे तो चलता ही है रास्ते में ट्रैफिक भी बहुत रहता है।”…रघुवीर ने बहुत ही सरल होकर कहां।
इतने में ही अंदर से एक महिला पानी लेकर आ गई हम लोगों को पानी पिलाया पीछे से दूसरी महिला थी जिसने हमें कोल्ड ड्रिंक दिया।
“रघु, अंकल आंटीजी कहाँ है वह यहाँ आयेंगे या हम लोग वहीं चले।”…हर्षा ने पूंछा।
“हम लोग ही चलेंगे, आप लोग थोड़ा सा सहज हो ले फिर चलते हैं।”…रघु बोला, वह बार-बार कनखियों से देख रहा था कि रानी घबरा रही है और उसके माथे पर पसीना आ गया है। घबराहट होना स्वाभाविक भी है अभी तक तो हम दोनों ही आपस में बात नहीं कर सके हैं ऊपर से घर आना रानी के लिए यह समय कठिन परिस्थितियों का तो होगा ही, जितना सहज कर सकता हूँ करुँगा।
“हर्षा, यह बताओ आप चारों को आज समय मिला ना, अगर हम ठान ले तो समय निकाल लेते हैं उस दिन तो मना कर रही थी अच्छा हुआ आप सब आ गये, मैं तुम्हें अपने दोस्तों से भी मिलवाऊँगा वह भी किसी काम से बाहर गया है लौट के आता ही होगा।”… रघुवीर बोला।
“सही कह रहे हो रघु, हमें तो वैसे भी रानी के लिए आना ही था पर पता नहीं थोड़ी सी झिझक को रही थी तुम्हारे कहने पर हम देखो अपनी रानी को लेकर आ ही गये।”…हर्षा बोली, सभी के चेहरों पर मुस्कान आ गई।
“रानी जी, आप ठीक हैं प्लीज सहज रहिये ज्यादा सोचिए नहीं, मैं जानता हूँ कि एक लड़की के लिए यह बहुत कठिन परिस्थितियाँ होती है लेकिन इन्हीं परिस्थितियों को सहज बनाने के लिए मैंने आप लोगों को घर पर बुलाया है तो कृपया आप सभी सहज बने रहिए।”… रघु ने रानी को देखते हुए कहां।
सभी सहज होने की प्रक्रिया में आ गये, एक दूसरे से बात करने लगे लेकिन सभी का केंद्र बिंदु रघु और रानी ही है।
कुछ देर में ही सभी दूसरी तरफ का कमरा क्या है वह तो हाल ही है जिसमें कई कोंणों से सोफे लगे हुए हैं एक तरफ उन्होंने देखा कि रघु के मम्मी पापा ही होंगे बैठे हुए हैं कुछ लोग उनके साथ बैठे हैं रघु ने दूसरी तरफ के सोफे पर सभी को बिठाया और खुद भी वहीं बैठ गया।
“थोड़ा सा इंतजार करना होगा, यह आगंतुक जाने वाले ही हैं फिर हम मॉम डैड से मिलते हैं।”…रघु ने बैठते हुए कहां।
क्रमश:..