आसमान बुनती औरतें

भाग (135)

चाय नाश्ते के बाद आराम से बैठकर चर्चाएँ शुरू हुई चारों के बारे में जानकारी ली गई सबके घर परिवार के बारे में पूछा गया और बड़ी सहजता से चारों बताती चली गई।

रघुवीर की मम्मी को यही बात तो पसंद आई कि चारों बहुत सरल है छल कपट और दुनियादारी की हवा अभी तक उन्हें नहीं लगी है बहुत ही साधारण और सरल जीवन जीने वाली लड़कियाँ हैं उन्होंने तो दुनिया देखी है और यह भी जानती हैं कि रघुवीर के लिए रानी सबसे अच्छा चुनाव है।

धन दौलत के लिए शादी करने वाली लड़कियों की कोई कमी नहीं है लेकिन रघुवीर के लिए अच्छी जीवन साथी साबित होगी इस पर उन्हें शक है।

ऐसी लड़की की तलाश में है जो रघुवीर को साथ दें, उसका ख्याल रखें उससे प्यार करें, न कि उसकी धन दौलत और उसके मां सम्मान को अपनाये और जितनी भी अभी तक उन्होंने लड़कियाँ देखी हैं सभी रघुवीर से कम उसके घर परिवार को देखकर उसकी तरफ आकर्षित हुई है लेकिन यह लड़कियाँ कितनी निर्मल है सहज झरने से बह रही हैं और बिना किसी दुराव छुपाव के अपने बारे में, अपने परिवार के बारे में बताती जा रही है वह समझ में भी आता है कि अगर हम किसी बात को बना कर बताये तो कहीं न कहीं झूठ निकल ही आता है लेकिन जो सच है वह बताने में कोई झिझक होती है।

कुछ देर बाद उन चारों को भी यह लगना बंद हो गया कि सभी रानी के लिए रघुवीर के घर आये हैं बिल्कुल सहज बढ़-चढ़कर अपने बारे में बताने के लिए उत्सुक हो गई और अपने जीवन के संघर्ष में कब से नौकरी में लग गई और कैसे परिवार की मदद कर रही हैं यह सब बताती चली गई। बहुत बड़े-बड़े सपने उन्होंने कभी बुने ही नहीं, जो है उसमें संतुष्ट रहने का उनका जो नजरिया है रघुवीर की माँ को बहुत पसंद आया, ऐसी लड़कियाँ जीवन में कभी भी संघर्षों से नहीं डरती और न ही परिस्थिति बिगड़े तो साथ छोड़ कर भागती हैं।

“आगे क्या करने का विचार है।”…रघुवीर के पिताजी बैठकर सारी बातें सुन रहे हैं बीच बीच में बोल भी देते हैं पूछ भी लेते हैं
उन्होंने पूछ लिया।

“मैं शादी करके व्यवस्थित होना चाहती हूँ और मैंने एक साथी भी तलाश लिया है अगर संभव हुआ तो हम लोग शीघ्र शादी करेंगे।”… राखी ने अपनी बात रखी

“मैं मौका मिले तो सबसे पहले मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूँगी फिर जिंदगी में क्या करना है सोचूँगी।”… स्नेहा ने अपनी बात रखी।

” मेरी मम्मी जी और नानी को व्यवस्थित करना चाहती हूँ जब तक मेरा भाई पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता मैं परिवार को नहीं छोड़ सकती।”… हर्षा ने अपनी बात रखी।

रघुवीर के मम्मी पापा इन कर्मठ लड़कियों से मिलकर बेहद खुश हैं आज के युग में भी लड़कियाँ इतनी जिम्मेदार इतनी समझदार हैं यह तो उन्होंने सोचा ही नहीं था क्योंकि जो भी लड़कियाँ उन्होंने देखी सब आधुनिकता की आड़ में गोते लगाती ही मिली।

कॉफी, जूस, आइसक्रीम सबके के दौर हो चुके थे लेकिन न तो रघुवीर के मम्मी पापा को जल्दी थी और यह लोग तो भूल ही गई थी कि घर जल्दी पहुँचना है। तीन घंटे कैसे बीत गये पता ही नहीं चला रघु की माँ ने इंटरकॉम पर किसी को कुछ आदेश दिया और वह सामान लेकर आ गया।

क्रमश:..

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