आसमान बुनती औरतें
भाग (116) इस समय दिन रात सुनहरे होने लगे, सपनों में ऊँची उड़ान भरते हुए सभी सखियाँ एक ऐसे जगत में चली जाती जहाँ पर सिर्फ वह है और परियाँ … Read More
भाग (116) इस समय दिन रात सुनहरे होने लगे, सपनों में ऊँची उड़ान भरते हुए सभी सखियाँ एक ऐसे जगत में चली जाती जहाँ पर सिर्फ वह है और परियाँ … Read More
भाग (115) सचमुच रघुवीर अच्छा लड़का है व्यवहार भी संतुलित है इसके व्यवहार से तो ऐसा लग रहा है जैसे इस समय के सारे लड़के बड़े ही संस्कारवान और सुलझे … Read More
भाग (114) “हर्षा कहाँ थी इतनी देर लगा दी।”…नानी ने घर में कदम रखते ही पूछ लिया। “नानी, थोड़ा सा काम था ऑफिस में इसलिए देर हो गई मैंने मम्मी … Read More
भाग (113) “अब हम लोगों को चलना चाहिए क्या कहती हो हर्षा ?”… राखी ने पूछा। “अब हम लोगों को निकलना होगा, ज्यादा देर हो जाएगी तो दिक्कत होगी, रात … Read More
भाग (112) “आप यह सब कुछ सोचना छोड़ें, यह एक यादगार घटना हो गई है इसका आनंद ले, अब इस विषय में ज्यादा बात मत सोचिए, क्या मैं रानी जी … Read More
भाग (111) रानी को लगा था कि उसके तो मन की मुराद पूरी हो गई और कुछ देर रघु को यूं ही देखते रहना चाहती थी उसके व्यवहार को, उसको … Read More
भाग (110) “रघु, ऐसा है एक बार में ही सब कुछ बता दो, रुक रुक कर जो झटके दे रहे हो उससे हम लोगों के होश फाख्ता हो रहे हैं।”…हर्षा … Read More
भाग (109) यह सब सोचते हुए और ताॅका झाॅकी करते हुए अभी कुछ समय ही बीता होगा कि उन्हें अपने पीछे पदचाप सुनाई दी, पलट के देखा तो रघुवीर पीछे … Read More