आसमान बुनती औरतें
भाग (126) “अच्छा यह बताओ तुमने अपने भविष्य के बारे में कुछ सोचा है या अभी भी कुछ नहीं सोच पा रही हो।”… विनय ने विषय बदलते हुए पूछा। “हाँ … Read More
भाग (126) “अच्छा यह बताओ तुमने अपने भविष्य के बारे में कुछ सोचा है या अभी भी कुछ नहीं सोच पा रही हो।”… विनय ने विषय बदलते हुए पूछा। “हाँ … Read More
भाग (125) “आजकल तुम्हारे ऑफिस में क्या चल रहा है इस समय तो कोई सीजन भी नहीं है तो भीड़ तो होगी नहीं।”… विनय ने पूछा। “हाँ इसीलिए मुझे आज … Read More
भाग (124) आज हर्षा विनय की हैरानी पर खुश हो रही है उसे लग रहा है कि यह जो खुशी विनय के चेहरे पर नजर आ रही है इस अचानक … Read More
भाग (123) सिटी ऑफ जॉय (प्रसन्नता का शहर) नाम से ही लगता है कि यहाँ कुछ इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी, संग्रहालय परिसर के भीतर एक पुस्तकालय और किताबों … Read More
भाग (122) जब वह दोनों हावड़ा ब्रिज से भी गुजर गये तब भी कोई बात नहीं हो रही दोनों ही मौन हैं लेकिन दोनों के दिल जबरदस्त वार्तालाप कर रहे … Read More
भाग (121) विनय ने अपने टेबल के कागज समेटे फाइल बंद कर कार की चाबी ली और चलने को उठ खड़ा हो गया। “ठीक है हर्षा जी, चलते हैं रास्ते … Read More
भाग (120) हर्षा आज अपने आप से बगावत करके आई है इसलिए उसे विनय कि हर बात अच्छी लग रही है आराम से बैठकर दूसरे विषयों पर बात करती रही … Read More
भाग (119) कुछ समय खामोशी में ही गुजर गया हद का काम कंप्लीट करके विनय ने जब गर्दन उठा कर देखा तो चोकने ने की बारी उसकी है। “हर्षा, आप … Read More
भाग (118) आज एक ऐसा अध्याय समाप्त हुआ है जहाँ पर जाने कितने दिनों से जद्दोजहद चल रही थी हर्षा जब अपनी माँ से ही खुलकर नहीं बोल पा रही … Read More
भाग (117) “मम्मी जी मैंने काफी सोचा है, मुझे लगता है कि मुझे भी विनय सर से लगाव हो गया है और तमाम उम्र उनके साथ गुजारने में मुझे शायद … Read More