ऐ दिल सम्हल जा जरा

(भाग 6)

सहने चिराग से थोड़ा फासला तय करने के बाद दो दुकानों के दरमियान एक दरवाजा आता है जिससे गुजरने के बाद मग्रिब की तरफ एक छोटा सा जालीदार आहाता है जिसमें चमेली के पेड़ लगे हैं। पेड़ के साए में मज़ार है। कहा जाता है यह मज़ार गरीब नवाज की दोनों बीबियों की है।

महफिल खाना खूबसूरत इमारत है नबाब बषीरूद्दौला ने ख़्वाजा गरीब नवाज के दरबार में बेटे के लिए दुआ मांगी थी, अस्सी साल की उम्र में उनको बेटा अता किया जिसकी खुशी में यह मुरब्बानुमा इमारत बनवाई, इसके चारों तरफ गैलरी है। उर्स के दौरान इसमें कव्वालियाँ होती हैं।

महफिल खाने के सामने एक हौज है आमतौर पर यह खुश्क हो जाता है मगर उर्स के दिनों में अकीदतमन्द जाएरीन सक्कों को पैसे देकर इसे पानी की मश्कों से भरवा देते हैं।

इस हौज़ की छतरी शहँशाह जार्ज पंचम की मल्लिका की तरफ से बनवाई गई है मल्लिका मैरी ने दरबार ताजपोशी से वापसी पर दरगाह ग़रीब नवाज़ में हाजिरी दी थी और पांच सौ रूपये हाजिरी अपनी तरफ से बतौर नजराना दिया था इस रकम में कुछ और रकम दरगाह ने मिलाकर इस हौज पर साइबान डलवा दिया था।

शही हौज के मशिक की तरफ ख़्वाजा गरीब नव़ाज का लंगरखाना है इसमें दो लोहे के कढ़ायें चढ़े रहते हैं जिसमें रोजाना सुबह-शाम ढाई मन लंगर पकता है इस लंगर से शहर के यतीम और बेवा औरतें, फकीर और मिसीकीन परवरिश पाते हैं।

दरग़ाह शरीफ़ के अन्दर अहाते में दाखिल होने के बाद सबसे पहले मस्जिद संदलखाना आता है इसको सुल्तान महमूद खिलजी ने अजमेर की फ़तह पर खुशी में रोजा मुनब्बरा के सिरहाने बनवाया था।
बेगमी दालान के पास निज़ाम सक्के की कब्र है इसने हुमायूँ बादशाह
दरग़ाह शरीफ़ के अन्दर अहाते में दाखिल होने के बाद सबसे पहले मस्जिद संदलखाना आता है इसको सुल्तान महमूद खिलजी ने अजमेर की फ़तह पर खुशी में रोजा मुनब्बरा के सिरहाने बनवाया था।

बेगमी दालान के पास निज़ाम सक्के की कब्र है इसने हुमायूँ बादशाह
की जान बचाई थी जिसके सिले में निज़ाम ने एक दिन हिन्दुस्तान पर हुकूमत की और चमड़े का सिक्का चलाया इसलिए उसे एक दिन का बादशाह कहा जाता है, मजार पर पहले खूबसूरत गुम्बद था जिसे औरंगजेब ने हटवाया मजार का चबूतरा संगमरमर का है जो चारों तरफ से जालीदार कटघरे का है।

हजरत ख्वाजा के मश्रिकी दरवाजे के पास एक वसीअ और आलीशान दालान है जो शहज़ादी जहाँआरा बेगम ने बनवाया छत और खम्बों पर निहायत खूबसूरत नक्काशी निगार बने हुए हैं दालान तीन तरफ से खुला हुआ है, बायीं तरफ ख़्वातीन का इबादतखाना है जहाँ औरतें तिलवते कुरआन पाक करती हैं।

हमीदिया दालान मौलाना सैय्यद अब्दुल हमीद साहब ख़ादिम दरगाह ख्वाजा गरीबे नवाज़ ने जाएरीन के लिए तामीर कराया था जहांँ उर्स के समय में जाएरीन ठहरते हैं बराबर में पानी के नल लगे हुए हैं।
कर्नाटकी दालान रोजा मुकद्दस की जुनूबी जानिब ये खूबसूरत दालान अरकाट के नबाब ने संगमरमर से तामीर कराया था इस इमारत में उर्स के दौरान कव्वाली भी होती है। आम दिनों में इसके बाहरी हिस्से में कव्वाल रोजा मुनव्वरा की तरफ मुँह करके कव्वालियाँ गाते हैं।

जन्नती दरवाजा शाहजहानी मस्जिद के सामने है। इस दरवाजे पर सुनहरी और रंग बिरंगे फूल बूटे बने हुए हैं। कहते हैं जो इंसान इस दरवाजे से सात मर्तबा गुजरे वह जन्नत में जाएगा।

झालरा दरगाह शरीफ की जुनूब में एक गहरा चश्मा है जो कभी नहीं सूखता, दरगाह शरीफ के इस्तेमाल का पानी यहीं से आता है झालरा की मजबूत चार दीवारी शाहजहाँ ने बनवाई थी दरगाह शरीफ में जामा मस्जिद के पास एक चौड़ा जीना झालरा में उतरता है जिसमें से शहर के हिन्दू-मुसलमान पानी भरते हैं।

चार यार मस्जिद शहजहानी से मग्रिब की तरफ हैं इस जगह फुंकरा और ख्वाजा गरीब नवाज के साथ आने वाले दफन हैं इसी जगह पर मौलाना शमसुद्दीन की मज़ार है।

सुल्तान शमसुद्दीन अलतमिश ने लाल पत्थर की ये मस्जिद बनवाई थी इस मस्जिद का ढाई दिन का झोपड़ा कहते हैं इस मस्जिद में आने जाने के दो दरवाजे़ हैं बीच में मेहराब, दोनों तरफ लाल पत्थरों की मीनार है

सुल्तान शमसुद्दीन अलतमिश ने लाल पत्थर की ये मस्जिद बनवाई थी इस मस्जिद का ढाई दिन का झोपड़ा कहते हैं इस मस्जिद में आने जाने के दो दरवाजे़ हैं बीच में मेहराब, दोनों तरफ लाल पत्थरों की मीनार है बीच में आम जबान गुम्बद है और गुम्बदे बस्ती के दोनों तरफ तीन छोटे गुम्बद हैं मस्जिद की महराब पर सूरः इन्नफतहना और सने तामीर बाई मेहराब पर सूरः मुल्क और बीच की मेहराब पर सुल्तान अलतमिश का नाम ख़ताबात और अल्क़ाब लिखा हुआ है।

क्रमश:..

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