अब बस
दर्द की शीला
जब रख रहे हो
मेरी जीवन शैली
के चलन पर
तब तुम कोई
चन्दन नहीं हो
जो अपने जीवन
से खुशबू बिखेरने
को तत्पर हो
जबकि सच्चाई यह
है कि यह सब करना
तुम्हारी परवरिश में
शामिल हैं
जहां अहम की
खोखली गुफाओं मैं
गले गले तक
धंसकर भी
अपने को प्रगतिवादी
साबित करने को तैयार
खड़े हो
कई बार इसकी
खुलेआम धज्जियाँ
उड़ती देखी है
और प्रगतिवादी
हौसलों को लेकर
खुशफहमी के ककंड
चाहे जितने बजा लो
बेसुरा राग ही निकलेगा
गुंजाइश की जहां
सम्भावना हो
वहां कोशिश करने की
जरूरत को नजर अंदाज
नहीं कर सकते
नहीं है सहमत तुम्हारी
धारणाओं के परकोटे
में रहने को
और न ही मानने को
तैयार है तुम्हारे
बेतुके तर्क को
जीवन कम है
और जीने का हौसला
जबरदस्त
ऐसे में एक पल
गवाना मंजूर नहीं ।
©A