ग़ज़ल
यह जान लो दुनिया में हो महमान हमेशा,मालिक का रखो याद ये एहसान हमेशा । इस वक्त मुसीबत में हैं माना ये चलो हम,रखना है मगर होंठों पे मुस्कान हमेशा। … Read More
(अन्तिम भाग 5) मम्मी आंटी की मदद कर रही हैं। महिला संगीत के दिन, गीतिका दीदी की सहेलियाँ, शोभित के दोस्तों, हम उम्र लड़कियों का जमघट लग गया, अब आई … Read More
(भाग 4) शोभित तीसरे दिन वापस चला गया और उन लोगों की जिन्दगी पुनः पुराने रास्ते पर आ गई। मम्मी में बदलाव आ गया है। अब ज्यादा खुश रहने लगी … Read More
(भाग 3) शोभित, के दोनों पेपर ठीक गये हैं। वह यूं पी एस सी का एग्जाम दे रहा है, नविता आंटी-अंकल का स्टेटस बड़े लोगों में गिना जाता है स्वयं … Read More
(भाग 2) शाम को खाने का पूछा तो कुछ नहीं कहा, जबकि मम्मी को मालूम है दोनों ही सोच-विचार कर खाना तैयार करती हैं, किन्तु आज वह भी मम्मी की … Read More
“रिया, तुम मेरे लिए कोचिंग की व्यवस्था करवा सकती हो?”… यामी ने पूछा। “हाँ यामी, तुझे गाइड लाइन की आवश्यकता महसूस हो रही है तो हम केरियर अकेडमी में कुछ … Read More