पत्थर नहीं दिल है

(भाग 2)

अक्सर उसे लगता है कि कहा इस पचड़े में फंस गई हैं, घर वालों के दबाव न होता तो कभी इस बात के लिए सहमत नहीं होती।

भरा पूरा परिवार हैं, त्रिवेणी का, कभी एहसास नहीं हुआ कि वह किसी पर बोझ है, पर सुलझे हुए विचारों के माता-पिता ने आगे के भविष्य को सुनिश्चित करते हुए त्रिवेणी से इस संबंध में चर्चा की और उसे व्यवस्थित करने का सोचा, माता पिता भी कौन सा प्रशिक्षण लेकर आए हैं कि दूसरी शादी में किस तरह भोगना होगा उनकी बेटी को, वह तो अपनी बेटी के उज्जवल भविष्य के लिए ही यह प्रयास कर रहे थे और इस प्रयास में वह सफल भी हुए और उन्हें अपने ही जैसी परिस्थितियों से गुजरा हुआ धवल का परिवार मिल गया।

इतने दिनों में त्रिवेणी यह तो जान गई थी कि धवल की टोका टाकी कि आदत है और कुछ भी कह देने के बाद, उसे कोई मलाल भी नहीं रहता, शाम को देखो तो वैसे ही सहज दिखेगा जैसे सुबह कुछ कह कर ही नहीं गया।

धवल की माता पिता के साथ-साथ एक छोटा भाई भी है जो दूसरे शहर में रहकर काम कर रहा है, सास ससुर तो बहुत अच्छे हैं लेकिन धवन किस पर गया है पता ही नहीं चलता, धीरे-धीरे ही त्रिवेणी को यह पता चला कि धवन ने अपनी पसंद की लड़की से शादी की थी और उस लड़की ने उसे धोखा देकर, अपने दोस्त के साथ भी वह साथ थी प्यार को गहरी चोट लगी, और तभी से मां का कहना है कि धवल का व्यवहार कड़वा होता चला गया है।

वह कई बार मां को भी ताने दे देता है, कह देता है कि तुम नहीं चाहती थी ना कि मैं जिसे प्यार करूंगा उसे स्वीकार करोगी, देख दलो बेमन से स्वीकारा था तो लो वह धोखा दे गई।

सासू मां को भी उसने कई बार कुसमुसाते हुए देखा है, धवल के घर से जाने के बाद बढ़बढ़ाती रहती है, …”उस समय यही चीज तो मुझे दिखी थी कि वह एक जगह टिक कर नहीं रहेगी, लेकिन इसकी ही आंखों पर पट्टी चढ़ी हुई थी और अब अपनी सारी भड़ास घरवालों पर निकालता रहता है।”

इस घर में बहुत कुछ ऐसा है जो सुनकर, जानकर त्रिवेणी अचंभित रह जाती है, क्योंकि उसने भी वही सब भोगा है और उसकी ससुराल में उसमें ही दोष निकालकर छोड़ दिया था। कहीं ऐसा तो नहीं कि यहाँ भी धवल की पत्नी पर ही दोष मढ़ा जा रहा हो, और सारा कसूर धवन का हो, लेकिन इन कुछ दिनों में ऐसा भी नहीं लगा कि धवन पूरी तरह से दोषी है, क्योंकि वह सहज सरल स्वभाव का एक आकर्षक व्यक्तित्व का धनी युवक है, काम के प्रति उसका रुझान जबरदस्त है जिम्मेदारियों से भी पीछे नहीं हटता, लेकिन पता नहीं क्यों, कभी कभी कड़वा उगल देता है।

क्रमश:..

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